तीर्थ परिचय

तीर्थ परिचय

मंदिरों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उजैन नगरी में जहां-जहां भी नजर जाती है मंदिर ही मंदिर नजर आते हैं। जैन धर्म का भी इस नगर से हजारों वर्षों से ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है। यहां पर विराजित महान चमत्कारिक श्री अवन्ति पार्श्वनाथ तीर्थ का इतिहास भी परमात्मा के अतिशय और चमत्कारों से ओत-प्रोत है। आचार्य सिद्धसेन दिवाकर जैसे महान आचार्य ने कल्याण मंदिर स्तोत्र की रचना करके सम्राट विक्रमादित्य पर जैन धर्म की जो छाप छोड़ी वह इतिहास के पन्नों में अजर-अमर है।
ऐसे महान आचार्य द्वारा मंत्रों से प्रगट की गई श्री अवन्ति पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा आज जन-जन की आराध्य का केन्द्र बन चुकी है। श्रीपाल-मैना सुन्दरी ने भी इसी नगर में रहकर सिद्धचक्र की तपाराधना की तथा सात सौ कोढ़ियों का कोढ़ रोग मिटा।
सवा करोड़ जैन प्रतिमाओं एवं सवा लाख जैन मंदिरों के निर्माण करने वाले सम्राट सम्प्रति ने भी इस पावन भूमि पर जन्म लेकर अपने को धन्य बनाया। खरतरगच्छाधिपति पूज्य आचार्य श्री जैन मणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के उपदेश से भव्य जिनालय का जीर्णोद्धार किया गया और मूलनायक श्री अवन्ति पार्श्वनाथ प्रभु की अत्यन्त चमत्कारिक प्रतिमा का बिना उत्थापन किये इस चमत्कारिक तीर्थ की भव्यातिभव्य प्रतिष्ठा जिस हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई, उसने उज्जैन के स्वर्णिम इतिहास में एक पृष्ठ और जोड़ दिया।